Description
नर-नारायण के एकनिष्ठ सेवक स्वामी विवेकानन्दजी के निर्मल चित्त में अतीत, वर्तमान तथा भावी समाज का जो चित्र प्रतिफलित हुआ था, उसका एक ऐसा सनातन रूप है, जो काल के विपर्यय से म्लान नहीं होता। नारी समाज के सम्बन्ध में उनकी उक्तियाँ आज भी प्राय: पचास साल के बाद भी इसीलिये समभाव से उज्ज्वल तथा समाज जीवन के लिये उपयुक्त हैं, कि वे थे ‘आमूल संस्कारक’। सदा परिवर्तनशील समाज की क्षणिक तृप्ति के लिये उन्होंने संस्कार के कृत्रिम प्रस्रवण की रचना कर प्रशंसा अर्जन नहीं की; वे चाहते थे समाज की जीवनीशक्ति को प्रबुद्ध करना, जिससे उसके हृदय के आनंद की शतधारा स्वत: ही उच्छ्वासित हो सके। आंग्ल भाषा में प्रकाशित स्वामी विवेकानन्दजी के ग्रंथोद्यान से उन्हीं चिर-नूतन भावपुष्पों का चयन रामकृष्ण मिशन के स्वामी रंगनाथानन्दजी ने किया है। उन्होंने स्वामी विवेकानन्दजी के भारतीय नारी सम्बन्धी मौलिक विचारों का संग्रह ‘Our Women’ नामक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया है। प्रस्तुत पुस्तक उसी अंग्रेजी पुस्तक का हिन्दी अनुवाद है। इस द्वितीय संस्करण में स्वामी विवेकानन्द कृत ‘Women of India’ नामक पुस्तक के अधिकांश भाग का अनुवाद जोड़ दिया गया है। इसके अतिरिक्त इस नवीन संस्करण में और भी कुछ महत्वपूर्ण अंशों का समावेश किया गया है।
Contributors : Swami Vivekananda, Sri Indradevasinha Arya