रामायण (Ramayan – Hindi)

SKU EBH197

Contributors

Swami Vivekananda

Language

Hindi

Publisher

Ramakrishna Math, Nagpur

Pages in Print Book

28

Print Book ISBN

9789385858741

Description

रामायण की कथा सुनने की इच्छा स्वामी विवेकानन्दजी को बचपन से ही थी। पड़ोस में जहाँ भी रामायण गान होता, वहीं स्वामीजी अपना खेलकूद छोड़कर पहुँच जाते थे। वे कहा करते थे की, ‘कथा सुनते सुनते किसी किसी दिन उसमें ऐसे लीन हो जाते थे कि अपना घरबार तक भूल जाते थे। ‘रात ज्यादा बीत गयी है’ आदि विषयों का उन्हें स्मरण भी नहीं रहता था। किसी एक दिन कथा में सुना कि हनुमानजी कदली-वन में रहते हैं। सुनते ही उनके मनमें इतना विश्वास हो गया कि वे कथा समाप्त होने पर उस दिन रात में घर नहीं लौटे; घर के निकट किसी एक उद्यान में केले के पेड़ के नीचे काफी रात तक हनुमानजी के दर्शन पाने की इच्छा से बैठे रहे।’ रामायण के अन्य पात्रों की तुलना में स्वामीजीं की महावीर हनुमानजी पर विशेष भक्ति थी। संन्यासी होनेपर भी अनेक बार महावीर हनुमान के बारे में चर्चा करते समय वे महावीरमय हो जाते थे, और अनेक बार उन्होंने मठ में महावीर की मूर्ति की स्थापना करने की इच्छा प्रदर्शित की थी। स्वामी विवेकानन्दजी ने 31 जनवरी 1900 को, अमेरिका में कैलिफोर्निया के अन्तर्गत पैसाडेना नामक स्थान में ‘शेक्सपियर-सभा’ में ‘रामायण’ विषयपर एक व्याख्यान दिया था; इसके अलावा अन्यत्र उन्होंने रामायण के विविध पात्रों पर भी विचार व्यक्त किये थे।

Contributors : Swami Vivekananda