स्वामी अखण्डानन्द (Swami Akhandananda)

SKU EBH161

Contributors

Swami Annadananda, Swami Videhatmananda

Language

Hindi

Publisher

Ramakrishna Math, Nagpur

Pages in Print Book

286

Print Book ISBN

9789385858932

Description

स्वामी अखण्डानन्दजी में हम एक ऐसा बाल-संन्यासी देख पाते हैं – जिन्हें बचपन से ही साधु-संग तथा हिमालय भ्रमण के प्रति तीव्र आकर्षण था। उनके इस आकर्षण ने ही उन्हें तीन बार तिब्बत भ्रमण और समूचे हिमालय का दर्शन कराया था। हिमालय का नाम सुनकर ही वे भावविभोर हो जाते थे। बर्फीली चोटियों के बीच में स्थित पवित्र केदारनाथ क्षेत्र उनका विशेष प्रिय स्थान था। इसी केदार अंचल में उन्हें गहरी समाधि का अनुभव हुआ था। इस रोमहर्षक भ्रमण का वृत्तान्त हमें हिमालय के प्रति मोहित करता है। स्वामी अखण्डानन्दजी भगवान श्रीरामकृष्ण के एक अन्तरंग पार्षद तथा लीलासहचर थे। बाद में वे रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के तृतीय अध्यक्ष हुए। स्वामी विवेकानन्दजी ने ‘आत्मनो मोक्षार्थं जगत् हिताय च’ का जो आदर्श रामकृष्ण-संघ के सामने रखा, उसी के वे र्मूितमन्त स्वरूप थे। जीवन-मुक्ति तथा दीन-दुखियों की सेवा ये दोनों आदर्श उनके जीवन में प्रत्यक्ष रूप में दिखाई पड़ते हैं। उनका जीवन गीतोक्त कर्मयोग का ज्वलन्त उदाहरण है। उनके जीवन में पवित्रता, मानवप्रेम, सेवाभाव, देशबान्धवों की उन्नति के लिए उत्कट आकुलता आदि दैवी गुणों का परमोच्च विकास देखने में आता है।

Contributors : Swami Annadananda, Swami Videhatmananda