Description
भगवान् श्रीरामकृष्णदेव के अन्तरंग लीलासहचर स्वामी विज्ञानानन्दजी महाराज बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उन्होंने विज्ञान और इंजीनियरिंग की शिक्षा पायी थी, पर साहित्य के क्षेत्र में भी, अँग्रेजी और बँगला भाषाओं पर उनका समान रूप से अधिकार था। एक ओर उनका जीवन गूढ़-गम्भीर, कठोर और अभेद्य प्रतीत होता था, तो दूसरी ओर उनकी कोमलता, बालसुलभ सरलता और कमनीयता भी दर्शनीय थी। वे लोगों की भीड़ पसन्द नहीं करते थे; वे तो श्रीरामकृष्ण उद्यान के ऐसे प्रभविष्णु पुष्प थे, जो एकान्त में खिलकर दिग्दिगन्त में अपनी सुरभि बिखेरता रहता है। तथापि जो यथार्थ में जिज्ञासु और साधक होते थे, उन पर उनके कृपावर्षण में कभी न्यूनता नहीं देखी गयी।”
Contributors : Swami Vishwashrayananda, Swami Nikhilatmananda