स्वामी प्रेमानन्द के सान्निध्य में (Swami Premananda Ke Sanidhya Me)

SKU EBH220

Contributors

Swami Omkareshwarananda, Swami Videhatmananda

Language

Hindi

Publisher

Ramakrishna Math, Nagpur

Pages in Print Book

232

Print Book ISBN

9789384883270

Description

भगवान श्रीरामकृष्ण ने अपने अन्तरंग शिष्यों में से जिन कुछ का `ईश्वरकोटि’ के रूप में उल्लेख किया था, बाबूराम महाराज के नाम से भी सुपरिचित स्वामी प्रेमानन्द भी उनमें से एक थे । वे पवित्रता की जीवन्त प्रतिर्मूति थे । श्रीरामकृष्ण कहते, ‘`बाबूराम की हड्डियाँ तक पवित्र हैं ।’’ १८८६ ई. में श्रीरामकृष्ण के महासमाधि के बाद से ही स्वामी प्रेमानन्द साधना और तपस्या में निमग्न थे । १८९८ ई. में स्वामी विवेकानन्द के पाश्चात्य देशों से भारत लौट आने के बाद से युग-प्रयोजन के अनुसार उनके जीवन का एक नवीन अध्याय आरम्भ हुआ । स्वामीजी ने आलमबाजार में स्थित और तदनन्तर बेलूड़ में स्थानान्तरित रामकृष्ण मठ के मुख्यालय की व्यवस्था देखने का उत्तरदायित्व अपने इन प्रिय गुरुभाई को सौंपा । स्वामी प्रेमानन्दजी ने अपनी इस नयी भूमिका को स्वीकार किया और बड़ी योग्यतापूर्वक इसे सम्पन्न किया । इसी काल से उन्होंने अपने दिव्य जीवन तथा अमृतमयी वाणी से मठ में आनेवाले ब्रह्मचारी साधकों तथा गृही भक्तों का जीवन श्रीरामकृष्ण-विवेकानन्द के भावादर्श के साँचे में डालकर उनके आध्यात्मिक उन्नति तथा चरित्र-गठन का कार्य आरम्भ किया । इन दिनों वे लोग बाबूराम महाराज के दिव्य सान्निध्य में रहकर उनके प्रेममय आचरण तथा मधुर वचनामृत का पान करके धन्य तथा कृतकत्य हो जाते थे ।

Contributors : Swami Omkareshwarananda, Swami Videhatmananda,